मम्मी – पापा का खेल

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aries
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मम्मी – पापा का खेल

Post by aries »

बबली मेरे पड़ोस में रहती थी। बचपन में हम एक खेल खेलते थे, जिसका नाम था "घर-घर"। उम्र कोई यों ही 3-6 साल तक रही होगी। घर के किसी कोने में हम बच्चे लोग एक दो चादर के सहारे किसी बड़े पलंग के नीचे साइड से ढककर घर बनाते… फिर उसे सजाते… छोटे छोटे खिलौनों से और ये खेल खेलते। दिन – दिन भर खेलते रहते थे, खास तौर से गर्मियों की छुट्टियों में।

एक बच्चा डैडी बनता… एक मम्मी बनती… और बाकी उनके बच्चे। फिर डैडी ऑफिस जाते… मम्मी खाना बनाती… बच्चे स्कूल जाते… खेलने जाते… और वो सब हम सब बच्चे नाटक करते… जैसा कि अक्सर घर में होता था। अक्सर… हम आस-पड़ोस के आठ-दस बच्चे इस खेल को खेला करते। पता नहीं उस छोटी सी उम्र में मुझे याद है, जब जब बबली मम्मी बनती थी और मैं पापा, तो मुझे खेल में एक अलग सा आनंद मिलता था। सामने वाले शर्मा जी की बेटी थी वो। शर्मा जी कोई बड़े अमीर तो ना थे, पर उनकी बेटी, यानी की रिंकी… अपने गोरे-चिट रंग और खूबसूरत चेहरे से, शर्मा जी की बेटी कम ही लगती थी।

उस उम्र में वो बड़ी प्यारी बच्ची थी। कौन जानता था कि बड़ी होकर वो सारी कॉलोनी पर कयामत ढाएगी! वो मेरी अच्छी दोस्त बनी रही, जिसकी एक वजह ये भी थी कि हम एक ही स्कूल में पढ़ते थे। और धीरे-धीरे ज्यों-ज्यों साल बीतने लगे… भगवान बबली को दोनों हाथों से रंग रूप देने लगे… और दोस्तों रूप अपने साथ नज़ाकत और कशिश अपने आप लाने लगता है… खूबसूरत लड़की कुछ जल्दी ही नशीली और जवान होने लगती है।

बबली के 14वें जन्मदिन पर जब हम उसके स्कूल और कॉलोनी के दोस्त उसे बधाई देने लगे… मैं एक कोने से छुपा और चोरी-चोरी की नज़रों से उसे देख रहा था। मेरी कोशिश ये थी कि उसकी खूबसूरती को अपनी आँखों से पी लेने में मुझे कोई डिस्टर्ब ना कर दे। वो एक मदहोश कर देने वाली गुड़िया की तरह लग रही थी……. उसके हाव-भाव देख कर मेरी सारी नस तन गईं…. करीब 18 बरस का ये नौजवान लड़का अपनी झंघाओं के बीच में कुछ गरमी महसूस कर रहा था…. और मैंने नीचे तनाव महसूस किया।

बबली का गुदाज़ जिस्म…. अपने गोरेपन के साथ मुझे खींचता ले जा रहा था…. उस नरम त्वचा को छूने के लिए सहसा मेरे अंदर एक तड़प उठने लगी। कहीं एकांत में बबली के साथ... केवल जहाँ वो हो और जहाँ मैं हूँ। और फिर उस एकांत में नियती हमसे वो करवा दे जो कि दो जवान दिल और जिस्म नज़दीकी पा कर कर उठते हैं।

कुछ और समय बीता और बबली का शरीर खिलने लगा… आंग बढ़ने लगी और उसके साथ मेरा दीवानापन बढ़ने लगा….. एक सुद्ध वासना जो उसके आंग आंग के कसाव, बनाव और उभरून को देख कर मुझे अपने आगोश में लपेट लेती थी। तक़दीर ने मुझ पर एक दिन छप्पर फाड़ कर खुशी दी। एक बार फिर मैंने "घर-घर" का खेल खेला, पर करीब 15 बरस की जवान गदराई… भरपूर मांसल लड़की के साथ। केवल अपनी बबली के साथ।

हुआ यूँ कि फिर वही गर्मियों की छुट्टियाँ थीं। बबली दिल्ली जा रही थी अपने अंकल के यहाँ। मैं भी दिल्ली गया था किसी काम से। वापस आते समय मैंने सोचा कि क्यों ना एक फोन कर के पूछ लूँ कि शायद शर्मा जी का परिवार भी वापस चल रहा हो तो साथ-साथ मैं भी चलूँ (दरअसल मैं बबली के साथ और दीदार के लिए मरा जा रहा था)। फोन बबली ने ही उठाया और वो बड़ी खुश हुई कि मैं वापस जा रहा हूँ मुंबई, और बोली कि वो भी चलेगी मेरे साथ।

उसकी ज़िद के आगे शर्मा जी झुक गये और इस तरह बबली अकेली मेरे साथ मुंबई चल दी। हालाँकि वो घर पर अपने भाई के साथ रहती, पर मैं इस यात्रा से बड़ा खुश था। मैंने शताब्दी एक्सप्रेस की दो टिकट्स बुक कीं और हम चले। मैंने उसका पूरा खयाल रखा और इस यात्रा ने हमें फिर बहुत नज़दीक कर दिया।

यात्रा के दौरान ही एक बार फिर घर –घर खेलने का प्रोग्राम बना और बबली ने वादा किया कि वो मेरे घर आएगी किसी दिन और हम बचपन की यादें ताज़ा करेंगे। मैंने महसूस किया कि वो अभी स्वाभाव में बच्ची ही है.. पर उसका जवान शरीर….. ग़ज़ब मादकता लिए हुए था। हम बहुत खुल गये ढेर सी बातें कीं।

उसने मुझे यहाँ तक बताया कि उसकी मम्मी उसे ब्रा नहीं पहने देती और इस बात पर वो अपनी मम्मी से बहुत नाराज़ है। मैंने उससे पूछा कि उसका साइज़ क्या है।

उसने मेरी आँखों में देखा, "पता नहीं….. कभी नापा नहीं।”

“अच्छा गेस करो……. वो बोली।”

मैंने गेस किया – 34-18-35।

“वाह…आप तो बड़े होशियार हो…..”

“अच्छा…. मेरा साइज़ बताओ?”

“लड़कों का कोई साइज़ होता है क्या?” मैंने कहा हां होता है……

“तो फिर आप ही बताओ….मुझे तो नहीं पता।”

“8 इंच….और 6 इंच।”

“ये क्या साइज़ होता है…?”

“तुम्हें पता नहीं….?”

“नहीं…….वो बोली।”

“अच्छा फिर कभी बताऊँगा….!”

“नहीं अभी बताओ ना…प्लीज़ ….”

“अच्छा जब घर-घर खेलने आओगी तब बताऊँगा…..”

“प्रॉमिस?”

“यस प्रॉमिस।”

इस यात्रा ने मेरा निश्चय पक्का कर दिया ….क्योंकि उसके बेइंतहा सौंदर्य ने, उसके साथ की मदहोशी ने….उसके मांसल सीने को जब मैंने इतने नज़दीक से देखा…… जीन्स में कसे उसके चौड़े गोल पुत्तों को …उफ्फ्फ़फफ्फ़…मैं कैसा तड़प रहा था मैं ही जानता हूँ।

जल्द ही वो दिन आ गया…..मैं उस दिन घर पर अकेला था। बबली भी आ गई…. लंच के बाद। मेरी तैयारी पूरी थी। एक बहुत सुंदर बीच ब्रा और जी-स्ट्रिंग मैंने खरीदी। एक नया जॉकी अंडरवेर अपने लिए या कहूँ कि उस दिन के लिए, जिसका मुझे किसी भी चीज़ से ज़्यादा इंतज़ार था।

फिर उस दिन वो आई…लंच के बाद। वो सुबह टशन गई थी, तब उसका भाई ताला लगाकर कहीं चला गया था। कुछ और काम ना था तो वो मेरे घर आ गई। उस दिन मैं भी अकेला था।

क्या बताऊं जब दरवाजा खोला और उसे खड़ा देखा तो मेरे बदन में एक झुरझुरी सी हो गई। वो कमसिन हसीना मेरे सामने खड़ी थी। उन्नत तना हुई शर्ट में कसे-कसे बूब्स….वो गद्राया बदन…. मेरी नस –नस फड़कने लगी।

हम बातचीत में खो गये। आखिर वही बोली चलो घर-घर खेलते हैं….. जैसे हम बचपन में खेलते थे!

“हां चलो…..बहुत मज़ा आएगा……देखते हैं बचपन का खेल अब खेलने में कैसा लगता है……ठीक है…..तुम मम्मी …मैं डैडी……”

“और हमारे बच्चे…?” उसने हंसते हुए पूछा….

“अरे हां….बच्चा तो कोई भी नहीं..है….तो फिर तो हम केवल पति-पत्नी हुए ना अभी…..ना की मम्मी-डैडी।”

वो खुश हुई…. “हां ये ठीक है…..पति-पत्नी। आप मेरे पति हैं और मैं आपकी पत्नी हूँ। आज हम पूरे घर के अंदर ये खेलेंगे…ना की किसी कोने में…..”

“ओके…. मैंने कहा।”

और हम पति-पत्नी की तरह एक्टिंग करने लगे। खेल शुरू हो गया। मैं फिर उसकी खूबसूरती के जादू में डूबने लगा। मेरे शरीर में एक खुशनुमा मादकता चढ़ने लगी।

उसके बदन को छूने …देखने के बहाने मैं ढूँढने लगा। जैसे वो किचन में चाय बनाने लगी…तो मैं चुपके से पीछे पहुँच गया….और उसके बम्स पर एक चिकोटी काटी।

वो उछली… “ऊऊ….क्या कर रहे हैं आप…..”

“अपनी खूबसूरत बीबी से छेड़छाड़…..” मैंने मुस्कुराते हुए कहा।

वो वाकई में बेलन लेकर झूठ-मूठ मरने के लिए मेरे पीछे आई….मैं दूसरे कमरे में भागा…. उसने एक मारा भी…..

“आआहह…. तुम तो मारने वाली बीबी हो…..” मैंने शिकायत भरे स्वर में कहा…… “देखना जो मेरी असली बीवी होगी ना…. वो मुझसे पागलों की तरह प्यार करेगी।”

“और आप….? आप उसे कितना प्यार करोगे….?”

“मैं…..आपसे भी ज़्यादा……दुनिया उसके कदमों मे रख दूँगा मैं…..”

“साच…? वो कितनी लकी होगी….. अच्छा आप उसे किस तरह पुकारोगे…?”

“मैं उसे हमेशा डार्लिंग कहूँगा…..”

“तो आज के लिए मुझे भी कहो ना….”

“ओके…..तो मेरी डार्लिंग बबली….. ये बेलन वापस रखो…..और नाश्ता दो….. मुझे ऑफिस भी जाना है….”

“ओह…..हां अभी देती हूँ…..आप ऑफिस के लिए तैयार हो जाओ…”

वो जैसे ही जाने लगी… मैंने कहा “एक मिनिट।” वो रुकी। मैं आगे बढ़ा, अचानक मैंने उसे अपनी बाहों में उठा लिया…और ले चला….

“आआहह….ऊओह…आप क्या कर रहे हैं……ऊओ..हह..” और वो खिलखिलाई।

“अपनी सुंदर सेक्सी पत्नी को मैं ऐसे ही बाहों में उठाकर रखूँगा …..डार्लिंग!” मैंने उसे उठा कर किचन तक ले गया….

जिस्मों की ये पहली मुलाकात बड़ी असरदार थी। उसके दूधिया बूब्स की एक छोटी सी झलक मिली जो उसने मुझे वहाँ पर देखते हुए देखा भी।

झंघाओं का वो स्पर्श…जब मैं उसे उठाए हुए था….धीरे-धीरे उसके जिस्म से मेरी छेड़छाड़ बढ़ने लगी। एक दो बार मैंने उसे बाहों में भी भरा।

वो थोड़ा शरमाई भी.. ज़्यादा नहीं… हल्की सी सुर्ख लाली …..गालों पर।

“चलो अब ऑफिस जाओ… बहुत नटखट है ये मेरा पति….. सिर्फ़ शैतानियाँ ही सुझती हैं आपको…” वो बोली।

मैं झूठ-मूठ ऑफिस जाने का नाटक करने लगा (ये इस खेल का एक हिस्सा होता था)। ऑफिस जाने से पहले…. मैंने फिर उसके सामने खड़ा हो गया।

“अब क्या है…..?”

उसके कान में मैंने कहा……. “एक किस…..डार्लिंग, जो हर बीवी अपने पति को ऑफिस जाने से पहले देती है।”

और ये कहकर मैंने उसे बाहों में भर लिया। वो कसमसाई…. “छोड़िए….क्या कर रहे हैं…” लेकिन अब मेरे होंठों ने…. अपनी प्यास बुझाने की ठान ली थी।

मैंने उसे कसते हुए एक चुंबन उसके दाहिने गाल पर जाड़ दिया….. सुंदर मदहोश कर देने वाला एक लंबा सा किस।

फिर उसे एक भरपूर नज़र से देखा…… उसके खूबसूरत चेहरे को… दोनों मुस्कुराए… या मुस्कुराने की कोशिश की….. और फिर एकUnexpected चुंबन मैंने उसके होंठों पर रख दिया।

इस चुंबन ने जादू सा किया। इसका प्रभाव ये हुआ कि मेरे उठते हुए काम लंड ने इस चुंबन के असर में आकर उसकी पेल्विस में एक चुभन दे डाली... ठीक वहीं जहाँ कुदरत ने उसका कर्म क्षेत्र बनाया है।

मैने एक बार उसके होंठ छोड़ दिए…. कहा…. तुम बहुत सुंदर हो बबली…. तुम जैसी ही बीवी तो चाहिए मुझे….. कितना सुंदर बदन है तुम्हारा….. और एक बार फिर मैं उसके होंठ पीने लगा। एक लंबे चुंबन के बाद….. उसने साथ नहीं दिया था……. मैने पूछा…. बबली…. बुरा तो नहीं लगा?

“नहीं… बिल्कुल नहीं….. आप तो किस करने में माहिर हैं!” वो नज़र झुकाए ही बोली।

“तो फिर तुमने क्यों नहीं किस किया मुझे…..?”

“मुझे नहीं आता …… आप सिखाओगे? अच्छा पर अभी आप ऑफिस जाओ……. वो मुझे धक्का देने लगी।”

“अच्छा बाबा… जाता हूँ …..” मैं हंसते हुए बोला।

“मेरे लिए ऑफिस से वापस आते हुए क्या लाओगे…..?”

“एक गरमागरम किस…..”

“मारूंगी हां…..” वो बनावटी गुस्से से बोली…..

मैं जाते हुए बोला….. “अच्छा, अच्छा मैं लाऊंगा…..”

थोड़ी देर के लिए मैं घर से बाहर गया। ऐसे ही नाटक करते हुए मैं वापस भी आ गया। वो बेडरूम में थी। मैं चुपके से दूसरे कमरे गया। उसके लिए मैंने जो बीच ब्रा और जी-स्ट्रिंग पैंटी खरीदी थी वो पैकेट निकाला…… इन कपड़ों को चूमा। फिर जैसे की ऑफिस से वापस आ गया…… वापस बेडरूम में आ गया, जहाँ वो लेटी थी।

फिर यूँ ही खेल के कुछ और हिस्से चले….. फिर शाम भी हुई …. घूमने गए…. ऐसा करते-करते हमारे खेल में रात आई…

इस खेल के डिनर के बाद….. जब हमें रात में एक साथ सोना था… उस समय उसने पूछा …. मेरे लिए क्या लाए…?

मैने पैकेट उसके हाथ में दिया…… “देखो…..”

“क्या है…..” वो ब्रा और पैंटी निकालते हुए बोली……

“वाउ…. कितनी सुंदर है ये….. पर ये तो बहुत छोटी छोटी हैं…….”

“ब्रा और पैंटी कोई बड़ी बड़ी होती हैं क्या…? मैं तो अपनी बीवी को ऐसी ही पहनाऊंगा…. पहनकर तो देखो…..”

“ओके…. देखती हूँ… सच आप वाक़ई अच्छे पति हो आपको याद था की मुझे ब्रा पहनना बहुत पसंद है? थैंक यू…”

“थैंक यू से काम नहीं चलेगा…. पहनकर दिखना पड़ेगा…… मैं भी तो देखूं 34-18-35 के खूबसूरत जिस्म पर ये कैसे सुंदर लगते हैं….!”

“धात… स्ष… मैं कोई इन कपड़ों में आपके सामने आऊंगी…?”

“क्यों भाई पति से शरमाओगी क्या? तो फिर दिखाओगी किसे … डार्लिंग? प्लीज़ दिखाओ ना!”

“अच्छा ठीक है पर दूर से देखना पास ना आना. ओके?”

“ठीक है बाबा… तुम जाओ तो सही!”

“और ये क्या है… ये मेरा अंडरवेर है…..” मैने अपना जॉकी उसके हाथ से लेते हुए कहा….

वो दूसरे कमरे में चली गई……. मैने बिजली की फुरती से अपने कपड़े निकाले और सिर्फ़ वो नया जॉकी का अंडरवेर पहन लिया…. और मिरर के सामने देखने लगा। जैसे की देख रहा हूँ कि ये अंडरवेर कैसा लगता है। अंडरवेर बहुत सेक्सी था। फ्रंट में सिर्फ़ लंड को कवर करता था। बाकी उसमें बॉल तक सारे दिख रहे थे।

उसने आवाज़ दी …. “मैं आऊं?”

“हां हां… डार्लिंग… मेरी जान आओ….!”

वो थोड़ा शरमाती हुई आई….. अभी मैने उसके बदन की झलक ही देखी थी कि वो … वापस पलट गई…. “उउउइइइइमम्माआ……..!!!!!!!!!!!”

मैं उसके पीछे लपका…. और दूसरे कमरे में उसके सामने खड़ा हो गया।

“एयाया…. प्प्प.. प्प्प नंगे क्यों हो गये…?”

“मैं…. तो… तो.. तो… अंडरवेर … पा…आ..आ..हहान.. सीसी..आ…. र्ररर देख रहा था…. था…!”

फिर हमारे मुख में जैसे बोल अटक गये। मैं भी रोज एक्सरसाइज़ करता था और मेरा बदन भी बड़ा गथीला था। वो मेरे जिस्म में खो गई और मैं उसके उठाव –चढ़ाव- उतराव में। एक कमसिन अक्षत कौमार्या मेरे सामने लगभग नग्न खड़ी थी। उस नयी जवानी भरे जिस्म पर वो उठे हुए कसे-कसे बड़े बड़े बूब्स…. वो पतला सा पेट….. दुबली सी कमनीया कमर…. और फिर चौड़े नितंब…… जी-स्ट्रिंग तो उसके उभरे हुए गुलाबी चूत को भी पूरा नहीं ढक पा रही थी। थोड़े थोड़े से रेशमी बाल इधर उधर बिखरे थे। उसका वेजाइनल माउंड काफी बड़े आकार का और उभरा हुआ था… फूला फूला सा। और उसकी वो मादक झंघा…. पतली लंबी टांगे…… बला की सेक्सी थी वो… फिल्म की हेरोइन भी क्या उसके सामने टिकेंगी…..

मैं अचंभित सा कामुक दृष्टि से उसे यूँ ही देखता रहा…. और कब मेरा लंड टंकार खड़ा हो गया ….. मुझे खुद पता ना चला।

पीछे…. मम्मूउउद्दू तो…. मैने अपना थूक अंदर घुटकते हुए कहा……

वो मूडी…..

आआआआआआआहहहहाहह….. व्वाअहह हह……

क्या ग़ज़ब का दृश्य था….! दाग रहित गोरा धुधिया बदन….! उसके बटक्स बिल्कुल डी शेप में थे… बड़े बड़े…. पूरे नंगे… गस्टरिंग उनको बिल्कुल भी नहीं ढक रही थी…..

मैने कहा….. बहुत कमसिन और खूबसूरत है तुम्हारा बदन मेरी बबली…. बहुत मादक और सेक्सी हो तुम….

“आप भी बहुत हैंडसम और मसकुलीन हैं……” वो बोली….

उसकी नज़र मेरे तने हुए अंडरवेर पर थी। मेरा लंड जैसे की अंडरवेर फाड़ देने को बेताब था। उसने अंडरवेर को एकदम 120 डिग्री का तनाव दिया हुआ था….. और साइड से देखने पर मेरे टेस्ट्स… जो की लगभग एग्स जैसे बड़े हैं…. सॉफ दिख रहे थे…. और साथ में मोटी तनतनी शाफ्ट भी। जहाँ पर मेरे लंड का हेड अंडरवेर को छू रहा था वहाँ अंडरवेर गीला हो गया था।

मैं आगे बड़ा….. वो पीछे हटने लगी….. चलते समय मेरा लंबा लंड उप आंड डाउन हिल रहा था… मैने देखा उसकी नज़र वहीं पर थी। पीछे जाते जाते वो दीवार पर चिपक गई…. उसने एक मादक सी आंगड़ाई अपने बदन को दी….. मेरे लंड ने प्री-कम की एक और बूँद उगली।

“मैं जानती हूँ उस दिन आप मेल के किस साइज़ की बात कर रहे थे…..!”

मैने उसे बाहों में लेते हुए कहा….. किस चीज़ के साइज़ की बात कर रहा था मैं…?

अब तक मेरे हाथों ने उसकी कमर को पकड़ लिया था……

उसने अपने हाथ से मेरे अंडरवेर के उपर से मेरे लंड को हल्का सा पकड़ते हुए कहा ……. इसकी….! ये 8 इंच लंबा है… और 6 इंच मोटा है… सर्कंफरेन्स में…..!

“गुड…! किसने बताया …?”

“मेरी सहेली ने….. वो तो आपका ये देखना चाहती है…..!”

“तुम नहीं देखना चाहोगी?”

उसने शरम से चेहरा नेरे सीने में छुपा लिया…… मैने उसकी पीठ को सहलाया…. एक हाथ से उसके चेहरे पर से जुल्फ हटाते हुए उसके कानों के नीचे… नरम गोस्त पर लज्रता चुंबन दिया। मेरी उंगलियों ने ब्रा का धागा खोल लिया…… ब्रा गिर गई…. नंगे बूब्स जैसे ही आज़ाद हुए उनके आकार मैं बाडोतरी हुई और मेरे सीने पर उन्होंने दस्तक दी। शायद नीचे मेरा लंड और थोड़ा लंबा होकर थोड़ा और हार्ड हो गया। अब मेरे हाथ उसके चुटटर सहला रहे थे। वो कामुक हो चुकी थी….. उसके और ज़्यादा कठोर होते बूब्स इस बात की गवाही दे रहे थे। मैने ज्यों ही पैंटी के अंदर हाथ डाल कर उसके चुचि पर उंगली फिराई…. उसके मुँह से आवाज़ निकली …. सस्स्स्सस्स म्‍म्म्ममम…. राआअज

“हन मुझे भी देखना है… आआ.. आ…प्प..प्प… कककक… सीसी.. आ.. आ….. ळ्ळ्ळुउउउन्न्द्द… ..!”

“तो फिर मेरा अंडरवेर उतारो…!”

वो झुकी घुटनो पर बैठ गई…… और मेरा अंडरवेर उसने निकाल दिया। लंड जैसे…. की कोई शेर पिंजरे से आज़ाद हो गया हो…. तुरंत ही उसने 3-4 प्रेकुं की बूँदें उगली…..

“कैसा है…..”

“बड़ा गरम है…” वो छूकर बोली…. “बाप रे कितना लंबा और मोटा है.. पर बहुत शानदार….. कितना बड़ा है आपका…. और कितना मोटा….”

“किस करो ना… इसे… तुम्हे अच्छा लगा मेरी रानी..” मैने उसके बालों में हाथ फिरते हुए और अपने टेस्ट्स उसके होंठो पर रगड़ते हुए कहा।

उसने अपने होंठ पीछे बढ़ाए…. और लंड के हेड को चूम लिया। फिर थोड़ा रुककर एक और चुंबन उसका लिया…. लंड दहाड़ उठा…. और प्रेकुं की चार बूंदे उसके होंठो पर गिरा दी…

“क्या तुम इसे चूसना पसंद करोगी……? इसकी पूरी लंबाई को?”

“ऊओ… हां… आप कहते हो तो… ज़रूर… पर ये बहुत मोटा है मेरे मुँह में जाएगा…?”

“हां कोशिश तो करो…”

वो मेरी टाँगों से चिपक गई। उसने मेरे चुट्टर पकड़ लिए। उसके बूब्स मेरी झंघाओ से घर्षण कर रहे थे। बबली ने तने हुए लंड के हेड को अपने मुँह से पकड़ा और फिर पुश करते हुए… पूरा हेड पहले अंदर ले लिया। मैं तड़प उठा…. मैने उसका सिर पकड़ा और लंड को आगे पुश किया…. आधा लंड उसके मुँह में था। वो उसे अपने थूक से गीला कर रही थी। फिर उसने उसे चूसना शुरू किया। मुँह के अंदर बाहर…. फिर उसने उसे निकालकर चाटा … शाफ्ट की लंबाई पूरी चाटी। मैं स्वर्ग में था… थोड़ी देर बाद मैने उसे मना किया कि वो अब मत करे। वो उठ गई…

“कैसा लगा आपको?”

“तुम बहुत अच्छा चूस्ती हो…. अब मुझे अपनी चूत नहीं दिखाओगी?”

“पहले आप एक वादा करो!”

“क्या…?”

“कि आज रात आप मेरे साथ सुहग्रात मनाओगे…… मैने सुना है उसमें बड़ा मज़ा आता है! सुना है दूल्हा और दुल्हन सारी रात नंगे होकर बिस्तर पर कोई खेल खेलते हैं…. चुदाई का…. फिर दूल्हा दुल्हन को अपने बच्चे की मम्मी बना देता है…. अपने लंड को दुल्हन की चूत में डालकर… और इसमें बड़ा मज़ा आता है….”

“तुम्हे किसने बताया..? मैने पूछा।

“मेरी सहेलियों ने क्लास में….”

“ओह…. 15 साल की उम्र में ही तुम्हारी सहेलियाँ बड़ी होशियार हो गई हैं…”

हां मेरी एक सहेली की दीदी की शादी हुई है ना अभी 2 महेने पहले.
तो उसकी दीदी ने उसे बताया की सुहग्रात मैं बड़ा मज़ा आया. इतना की
सारी रात मनाई. उसकी दीदी ने तो ये भी बताया की उसके जीजाजी ने उसकी
दीदी की चूत मैं अपने लंड से खूब वीएरया भरा और आब उसकी दीदी
मम्मी बन जाएगी. फिर एक दिन मेरी सहेली ने अपने जीजाजी से कहा की वो
उसके साथ भी मना दे सुहग्रात…..एक दिन वो सोई भी अपने जीजाजी के
साथ …पर जीजाजी उसके साथ चुदाई ना कर सके…..

क्यों?

वो अपना ये लंड मेरी सहेली के चूत मैं घुस्सा ना सके. मेरी सहेली
तदपकर रह गई…

अपनी सहेली को मेरे पास लेकर आना…कितनी उमर है तुम्हारी सहेली की?

14 साल…..आपके पास लाउन्गी तो आप उसके चूत मैं घुसा दोगे?आपका तो
इतना मोटा लंड है….

पगली ये लंड घुस्साना तो एक कला है ……हर मर्द थोड़े ही जानता
है…..खास तौर से कक़ची चूत छोड़ना आसान नहीं है…और कितनी
सहेलियाँ है तुम्हारी…..जो अपना कौमार्या लुटाना चाहती हैं?

सात – आठ…है…लेकिन किसी ने सुहग्रात नहीं मनाई..कभी …आप
मनाओगे ना आज मेरे साथ….मेरे दूल्हा बनकर…..?

हां ज़रूर…तुम्हारे इस मादक जिस्म की कसम मैं आज रात वो सुहग्रत
मनऊंगा तुम्हारे साथ …जैसी किसी लड़के ने किसी लड़की के साथ नहीं
मनाई होगी!

साच….? और फिर मेरे गर्भ को भी सींच देना….मैं आपको अपने
जीवन का पहला पुरुष मानकर अपने गर्भ मैं सबसे पहले आपके
वीरया की बूँद चाहती हूँ……आप दोगे ना?

हां मेरी रानी….क्यों नहीं….

तो फिर मैं आपके लंड के लिए अपना कौमार्या समर्पित करती
हूँ….!पर आप प्यार से करना मेरे साथ….मैं कच्ची कली हूँ
ना…..मेरी चूत बहुत टाइट है…..प्लीज़ धीरे धीरे चोदना मुझे
मेरे राजा……मेरे दूल्हे…..और वो मुस्कुरई…

उसने फिर जल्द ही अपनी पॅंटी उतार दी और पूरी नंगी खड़ी हो
गई…..मेरे तने लंड के सामने. मैने देखा… उसके चूत से रस बह रहा
था. वो पूरी तरह गीली थी. मैने उसे उठाया और बेडरूम मैं लाकर
उसे बिस्तर पर रख दिया. फिर उस पर चढ़ बैठा….उसके बूब्स चूसने
के लिए बेताब था मैं. हम जल्द ही गूँथ गये….दो जवान भूखे
जिस्म…जो आज पहली बार कॉम्क्रीडा करने जा रहे थे…! एक दूसरे पर
जैसे झपट पड़े….मैं उसके बूब्स बुरी तरह चूस रहा था…

उउउफ़फ्फ़…आ..हह..आआ..हह प्लीज़ थोड़ा धीरे….कतो ना…..उूउउइयौर
ज़ोर से चूसो…

दोनो बदन तप उठे. वो बुरी तरह तड़प उठी…..फिर मैने उसकी नाभि
से खेला….तो उसने मेरे सिर को अपने गुप्ताँग की तरफ धकेला….मैं
उसका इशारा समझ गया…तुरंत ही मेरे मुँह ने उसके उभरी हुई चूत
को किस किया और मैं फिर उसकी चूत को चाटने और पीने लगा. उसकी
झिर्री पर अपनी झीभ की नोक फिराते हुए…मैने उसके चूत के होंठ
खोलने चाहे….पर वो बेहद टाइट थे…फिर मैने वो इरादा छोड़ा और उस
झिर्री पर जीब की नोक फिराते हुए जीब को नीचे ले जाने
लगा….गुप्ताँग के नीचे चाटा कुरेदा….किस दिए…और फिर करते करते
जीब की नोक से उसके चुटटर के छेद को कुरेदने लगा. कभी मैं उसे
चाट लेता पूरी जीभ का चपटा भाग रखकर….मुझे मज़ा आ रहा था…वो
और ज़्यादा तड़पति जा रही थी…उसका बदन आब ज़ोर ज़ोर से उछल रहा
था. वो बहुत आवाज़ें भी निकाल रही थी…..पर मेरा घर बहुत बड़ा
है……उस शोर से मेरी कामग्नी और भड़क रही थी…सो मैने उसे और
तड़पाने लगा.

म्‍म्म्मायन्न…म्‍म्माआररर …ज्ज्जााूऊन्नननज्गगीइइइ …. प्प्प्ल्लीआसए.. मैं
उसकी ऊट मे उंगली डाल कर उसे थोड़ी ढीली करने की कोशिश कर रहा
था.. साथ ही जीभ से चाट रहा था.
मैने देखा की उसकी चूत से बहुत पानी निकल रहा है.. वो मेरे तने
हुए लंड को मसालने लगी .. मैं अब उसके पैरों को फैलाकर उसके बीच
मे बैठ गया.. और अपना लंड उसके चूत के दरार मे रगड़ने लगा.. वो
तड़प उठी.. राज.. मेरी चूत मे कुछ हो रहा है.. आग लग गयी
है.. मैने पास रखी पॉंड्स कोल्ड क्रीम की बॉटल से पूरी क्रीम अपने
लंड पर लगाया और उसकी चूत मे क्रीम डाल कर एक उंगली घुसाई..
बहुत टाइट थी उसकी गुलाबी ऊट.. वो सिहर उठी.. कहा दर्द हो रहा
है.. मैने कहा थोड़ा दर्द बर्दाश्त करो मेरी रानी.. अब लंड का मोटा
सूपड़ा उसकी चूत के छेद पर रखा और दबाया.. क्रीम की वजह से
लंड का सूपड़ा फिसलने लगा क्यूकी चूत टाइट थी. मैने फिर से लंड
को टीकाया और कमर टाइट करते हुए एक झटका दिया और वो चीख
पड़ी.. मैने उसके मुँह पर हाथ रखा.. और दूसरा धक्का दिया.. और
उसकी चूत ने खून की पिचकारी चला दी… उसने ज़ोर से मेरे हाथ मे काट
लिया जिससे मेरे हाथ से भी खून निकल आया.. उसकी आँखे बाहर निकल
आई और आँसू बहने लगे.. मैं उसे किस करने लगा…"राज …
निकाआआल्ल्ल लूऊओ…. मैं मर् जाउन्गी… ऊहह..माआआ. बहुत दर्द हो
रहा है…. मैने नीचे देखा मेरी चादर पूरी लाल हो गयी थी.. ये
देख कर मैं रुक गया लेकिन लंड बाहर नही निकाला.. उसका दर्द कम
होते ही मैने और एक धक्का मारा और मेरा पूरा लंड उसकी चूत मे
डाल दिया और उसके होंठो को मेरे होंटो से पकड़ लिया .. वो
गगगगगगगगग…. करने लगी.. मेरी पकड़ मजबूत थी..करीब 3-4 मिनूट के
बाद उसका दर्द कम हुआ और मैने धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर
करना शुरू किया.. उसे भी मज़ा आने लगा.. और 2 मिनूट मे ही वो झाड़
गयी.. मैने स्पीड बढ़ा दी.. अब वो भी मज़े लेने लगी.. ज़ोर से ..
मेरे दूल्हे राजा.. चोदो अपनी दुल्हन को अच्छे से चोदो.. आज तुमने
मेरी चूत फाड़ ही दी.. कितनी लकी हूँ मैं.. मेरी सहेली के जीजा से
तुम ज़्यादा अच्छे हो..आआआहह… ज़ोर से..मैं भी ज़्यादा रुकने की
पोज़िशन मे नही था.. मैने अब तूफ़ानी धक्के मारते हुए पूरे लंड को
बाहर खीच कर धक्के लगाने शुरू किए.. और फिर जड़ तक उसकी गुलाबी
चूत मे डाल कर मेरे लंड का पानी डाल दिया.. और उसकी चूंचियों
को चूमते हुए उसके उपर लेट गया..
हम दोनो तक गये थे.. इसलिए सो गये.. शाम को करीब 4 बजे उठे
.. दोनो बाथरूम गये और नहाए.. फिर वो शरमाती हुई.. अपने घर
चली गयी.. मैने देखा उसे चलने मे काफ़ी तकलीफ़ हो रही थी..
दोस्तो कैसी लगी ये कहानी आपको

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